Home सियासत बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मद्देनजर लालू यादव के समधी कह गए बड़ी बात

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मद्देनजर लालू यादव के समधी कह गए बड़ी बात

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रेवाड़ी । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय सिंह यादव तीन दिन से लगातार ऐसे ट्वीट कर रहे हैं, जिनका सरोकार गहलोत-पायलट प्रकरण से जुड़ा है। बड़ी बात यह है कि सचिन पायलट के बहाने कैप्टन ने न केवल कांग्रेस हाईकमान को सत्ता के विकेंद्रीकरण की नसीहत दे डाली वहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी निशाना साधा है। कैप्टन अजय सिंह यादव ने यह कहने का प्रयास किया है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब सीएम थे तब उनको भी अधिकार विहीन कर दिया था। कुछ लोग कैप्टन की नसीहत को बिहार में लालू के लाल तेजस्वी यादव को कांग्रेस हाईकमान द्वारा कम तवज्जो देने से भी जोड़कर देख रहे हैं, मगर कैप्टन अजय सिंह यादव व उनके विधायक बेटे चिरंजीव राव ने इससे कतई इनकार किया है। बता दें कि कैप्टन अजय सिंह यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल मुखिया लालू प्रसाद यादव के समधी हैं।

13 जुलाई का ट्वीट कर दी हाईकमान को नसीहत

कांग्रेस हाईकमान को इस बात पर ध्यान देना होगा कि जो भी मुख्यमंत्री बनता है वह पावर सेंट्रलाइज कर लेता है। इसका खामियाजा मिलकर सरकार बनाने वाले कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ता है। सेकेंड लाइन आफ लीडरशिप तैयार नहीं होती। इसके लिए कांग्रेस को सोचना होगा।

13 जुलाई को ट्वीट कर किया भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वार

सचिन पायलट जी मैं आपकी दुविधा को समझता हूं। मैं इस दौर से गुजरा हूं। सरकार में होते हुए जब नहीं चलती तो दिल पर क्या बीतती है, उससे वाकिफ हूं। इसके बावजूद मैने कांग्रेस में रहकर संघर्ष किया, लेकिन सफलता कम ही मिली।

15 जुलाई को ट्वीट कर दी सचिन को सलाह

सचिन पायलट जी अभी कांग्रेस में ही है। उन्होंने बीजेपी में न जाने का फैसला लिया है। मेरी उनसे गुजारिश है कि सोनिया या राहुल गांधी से मिलकर गिले-शिकवे दूर करें और कांग्रेस में आस्था व्यक्त करें।

पूर्व मंत्री और अहीरवाल बेल्ट के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं में शुमार कैप्टन अजय सिंह यादव का कहना है कि मैंने हाईकमान को नसीहत नहीं दी है, बल्कि उनसे शक्तियों के विकेंद्रीकरण का आग्रह किया है। राहुल से अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया है। मेरी पावर सेंट्रलाइज करने की टिप्पणी भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए नहीं बल्कि सभी मुख्यमंत्रियों के मामले में कॉमन है। कई बार मंत्रियों के पास साधारण अधिकारी के तबादले की पावर तक नहीं रहती। 

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