
पटना। किसी भी व्यक्ति को कोरोना संकमण से बचाने के लिए ईथर (केमिकल) की 10 बूंदें काफी हैं। इसे एक चम्मच चीनी में मिलाकर लिया जाए तो कोरोना वायरस गले में ही निष्प्रभावी हो जाएगा। जब तक इस जानलेवा वायरस की वैक्सीन नहीं आती, ईथर थेरेपी (Ether Therapy) को टीका (Vaccine) मान इसका प्रयोग संक्रमण से बचाव के लिए किया जा सकता है। यह दावा है पटना के एक डॉक्टर का।
आइसीएमआर को लिखा पत्र
ईथर थेरेपी के जनक एवं बिहार के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.एसएस झा ने इस बाबत इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Central Health Ministry) एवं राज्य सरकार (Bihar Government) के स्वास्थ्य विभाग (Department of Health) को पत्र लिखा है। उन्होंने कोरोना में लाभकारी ईथर थेरेपी पर विशेष रिसर्च (Research) कराने का सुझाव दिया है, ताकि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो और लोगों को इसका लाभ मिल सके। डॉ. झा ने बताया कि ईथर थेरेपी एक तरह से कोरोना संक्रमण से बचाव की वैक्सीन है जो काफी सस्ती एवं प्रभावकारी है। वे राजधानी पटना में तकरीबन दो हजार से अधिक लोगों को इसे दे चुके हैं।
ऐसे दी जाती थेरेपी
ईथर थेरेपी के तहत सिर्फ एक बार ईथर की दस बूंद दी जाती है। ईथर का स्वाद कड़वा होता है। इसलिए इसका उपयोग एक चम्मच चीनी के साथ किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को एक चम्मच चीनी में ईथर की दस बूंद मिलाकर दी जाती है। इसका मानव शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। ईथर का प्रयोग 200 वर्ष से मरीजों को बेहोश करने के लिए किया जाता है। एक व्यक्ति को बेहोश करने के लिए सामान्यत: 300 एमएल का उपयोग किया जाता है। ऐसे में दस बूंद से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता।
कोरोना का वायरस हमेशा मुंह एवं नाक से मानव के शरीर में प्रवेश करता है। प्रवेश के बाद अगले चार दिनों तक गले में रहता है। पांचवें दिन इसका आक्रमण फेफड़े पर होता है। फेफड़े को संक्रमित होने पर मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगी है। उसके बाद शरीर के अन्य अंग प्रभावित होने लगते हैं। डॉ.झा का कहना है कि यहीं पर ईथर थेरेपी विशेष रूप से काम करती है। ईथर वायरस को गले में निष्प्रभावी कर देता है, जिससे आगे व्यक्ति संक्रमण से बच जाता है। ईथर दवा की दुकानों में आसानी से उपलब्ध है।
कोरोना वायरस हो जाता है निष्प्रभावी
पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब के प्रभारी डॉ.सच्चिदानंद का कहना है कि अधिकतर लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो गए हैं। इसका मुख्य कारण मरीज के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढऩा है जिससे वायरस निष्प्रभावी हो जाता है।