
रांची. झारखंड के शिक्षा मंत्री का एक बयान आज चर्चा में है. दरअसल मंत्री ऐसा बयान देकर घिर गए हैं. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Education Minister Jagarnath Mahto) ने आज कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही अब सरकारी नौकरी मिलेगी. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में विचार कर रही है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सभी शिक्षकों को अब गैर शैक्षणिक कार्यों से हटाया जाएगा और अब शिक्षक शैक्षणिक कार्यों के प्रति पूरी तरह जवाबदेह होंगे. लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों को ही सरकारी नौकरी के बयान पर विपक्ष तो विपक्ष, खुद सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्री ने भी बयान को आपत्तिजनक करार दिया. वहीं विपक्षी दल भाजपा (BJP) ने इसे गैरजिम्मेदाराना बयान बताया है.
शिक्षा मंत्री के इस बयान से सियासी गलियारों में हंगामा मच गया. हंगामा भी ऐसा कि सरकार में शामिल कांग्रेस कोटे के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने विपक्ष से पहले ही इसका विरोध कर दिया. मंत्री रामेश्वर उरांव ने साफ कहा कि शिक्षा मंत्री का यह बयान पूरी तरह असंवैधानिक है. रामेश्वर उरांव ने कहा कि शिक्षा मंत्री का यह बयान प्रतिभाशाली छात्रों को सरकारी नौकरी से दूर करेगा और व्यवहारिक रूप से यह कहीं भी संभव नहीं है. हालांकि उन्होंने गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को हटाने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मजबूती मिलेगी.
बीजेपी ने कहा- बचकाना बयान : उधर, झारखंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी सरकारी नौकरी वाले बयान पर शिक्षा मंत्री को घेरने की कोशिश की. पार्टी ने मंत्री के बयान को बचकाना और गैर जिम्मेदाराना करार दिया. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्री में अगर हिम्मत है तो निजी स्कूलों को बंद करके दिखाएं. उन्होंने कहा कि आज के हालात में गरीब परिवार भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए निजी स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं. इसलिए सरकारी नौकरी को सरकारी स्कूलों से बांध देना एक हास्यास्पद बयान है. इधर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा ने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री का बयान अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है. राज्य के शिक्षा मंत्री से ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती.