Home झारखंड झारखंड: मैट्रिक में टॉपर रही इस लड़की के पास नहीं थे कॉलेज में पढ़ने के लिए पैसे, गांववालों ने दिया साथ

झारखंड: मैट्रिक में टॉपर रही इस लड़की के पास नहीं थे कॉलेज में पढ़ने के लिए पैसे, गांववालों ने दिया साथ

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घाटशिला. घाटशिला (Ghatshila) के बहरागोडा (Bahargoda) प्रखंड की पाचांडो गांव की अनिमा नायक की पढाई का खर्चा गांव में रहने वाले लोग उठा रहे हैं. अनिमा नायक के माता-पिता गरीब किसान है. बेटी को पढाने के लिये उनके पास इतने पैसे नहीं है कि उसे किसी बढे कॉलेज में पढ़ा सकें. लेकिन जब इसकी जानकारी गांव के लोगों को हुई तो सहयोग के लिए हाथ बढ़ा. आज गांव की बेटी बन कर अनिमा नायक जमशेदपुर के वीमेंस कॉलेज में विज्ञान संकाय में एडमिशन ले कर पढ़ाई कर रही हैं. जिसका पूरा खर्च गांव के लोग उठाते है. साल 2019 में गांव की बेटी अनिमा नायक ने मैट्रिक की परीक्षा में अनुमंडल टॉपर और जिले में तीसरी टॉपर बनी थीं.

96 प्रतिशत नंबर लाकर बनी थी टॉपर
गरीब किसान के घर जन्म लेने वाली अनिमा ने मैट्रीक की परीक्षा में 96 फीसदी अंक लाया था. अनिमा के कारण घाटशिला का नाम रौशन हुआ. उस समय गांव के लोग के सात परिवार वाले भी काफी खुश थे. लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रह सकी. पैसों के अभाव में अनिमा नायक की पढ़ाई बाधित होने लगी. उनके किसान पिता विश्वदेव नायक के पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी को किसी बडे कॉलेज में भेज सके. जबकि उनकी बेटी डॉक्टर बनना चाहती थी. इस कारण मेधावी छात्रा भी घर की माली हालत को देखते हुए मन मारकर रह गई.

आर्थिक संकट के कारण पढ़ाई छोड़ने की आई नौबत : पिता ने धान बेचकर किसी तरह बेटी का जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में विज्ञान संकाय में एडमिशन करा दिया. लेकिन हर महीने कॉलेज और हॉस्टल की फीस देना उनके लिए भारी पड़ने लगा. एडमिशन के कुछ माह बाद आर्थिक स्थिति को देखते हुए पढ़ाई छोड़ने की नौबत आ गई. उसके बाद गांव तथा आसपास के लोगों ने जब यह बात सुनी तो वे मदद को आगे आए. सबसे पहले चित्रेश्वर हाई स्कूल के हेडमास्टर सुधाकर पड़िहारी मदद के लिए आगे आए. उसके बाद अर्धेन्दु साव, शांतनु बारिक जैसे कई लोग अनिमा की पढ़ाई के अलावा हॉस्टल तथा अन्य तरह के खर्च देकर मदद कर रहे हैं.

सरकार ने नहीं की कोई मदद
अनिमा की मां संगीता नायक बताती हैं कि सरकार बेटी बटाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है. लेकिन आज तक बेटी के लिये सरकार ने कोई मदद नही की है. पिता विश्वदेव नायक बताते हैं कि वे गरीब किसान है. बेटी को पढ़ने की इच्छा है लेकिन उनके पास इतने रूपये नहीं है कि वे आगे की पढ़ाई करा सकें.

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