पटना । बिहार में सियासी सरगर्मियां धीरे-धीरे ऊपर चढऩे लगी हैं। भाषा की मर्यादा टूटने लगी हैं। पक्ष-विपक्ष के नेता रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं। रांची जेल अस्पताल में इलाज करा रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात के बाद पटना लौटे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तेजी बता रही है कि वह पूरी तरह एक्शन में आ चुके हैं। रविवार को अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर से जनसंपर्क अभियान की शुरुआत करके उन्होंने दो चीजें बिल्कुल साफ कर दीं। पहली यह कि वह अपनी पार्टी का एकलौते स्टार प्रचारक होने के बावजूद खुद को चुनावी राजनीति से अलग नहीं रखेंगे। दूसरा यह कि भाजपा-जदयू और लोजपा की तरह राजद भी चुनाव मैदान में उतरने में देर नहीं करेगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए गांव-गांव, गली-गली घूमने में कोताही नहीं होगी।
तेजस्वी के कंघों पर महागठबंधन में प्रचार की जिम्मेदारी
तेजस्वी को लेकर अभी तक खबरें आ रही थीं कि लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में महागठबंधन प्रत्याशियों के प्रचार की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधे पर रहेगी। ऐसे में वह चुनाव लडऩे से इन्कार कर सकते हैं। ऐसी सूचनाओं को हवा इसलिए भी मिल रही थी कि विधान परिषद में विधायक कोटे की नौ सीटें खाली हैं, जिसके लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए तेजस्वी प्रत्याशी बनने से बच सकते हैं और परिषद के सदस्य हो सकते हैं। किंतु राघोपुर की चुनावी यात्रा बता रही है कि लालू प्रसाद से मशवरे के बाद तेजस्वी ने खुद को चुनाव लडऩे के लिए तैयार कर लिया है। उनका क्षेत्र भी वही होगा, जहां से वह पिछली बार विधायक बने थे।
सक्रिय होकर विरोधियों को दे रहे जवाब
लॉकडाउन के दौरान पटना से बाहर रहने के कारण जदयू और भाजपा नेताओं ने तेजस्वी पर लगातार यह कहकर हमला जारी रखा था कि महत्वपूर्ण मौकों पर वह बिहार से गायब रहते हैं। अब अति सक्रिय होकर तेजस्वी अपने विरोधियों को जवाब दे रहे हैं। सोशल मीडिया के सहारे मुख्यमंत्री पर हमले कर रहे हैं और खुद की तरह उन्हें भी बाहर निकलने के लिए उकसा रहे हैं।
लॉकडाउन में दिल्ली से लौटने के बाद किए कई दौरे
लॉकडाउन के बाद दिल्ली से लौटने पर नेता प्रतिपक्ष ने लगातार कई दौरे किए। तिहरे हत्याकांड में गोपालगंज जाने की पुलिस ने इजाजत नहीं दी तो उन्होंने पटना जिले के नौबतपुर और मोकामा के दौरे किए। लालू प्रसाद को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए रांची गए। वहां से लौटे तो अपने क्षेत्र में सक्रिय हो गए। यह एक तरह से जदयू पर दबाव बनाने की कोशिश है। कामयाब होते हैं तो उन्हें कहने का मौका मिल जाएगा कि मेरे दबाव में निकले और असफल होते हैं तो हमले जारी रखेंगे।