Home बिहार ये बैंकर कोरोना वायरस के प्रति पेंटिंग से लोगों को कर रहे सतर्क, जागरूक हो रहा देश-विदेश

ये बैंकर कोरोना वायरस के प्रति पेंटिंग से लोगों को कर रहे सतर्क, जागरूक हो रहा देश-विदेश

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समस्तीपुर । कभी पेंटिंग क्लास नहीं गए। किसी से बारीकियां भी नहीं सीखीं। बैंक में पैसों के लेन-देन और बही-खाते संभालते कूची चलाने लगे। समस्तीपुर के कृष्णा स्वामी राजू नामचीन चित्रकारों की श्रेणी में हैं। कोरोना वायरस से जागरूकता थीम पर पेंटिंग बना लोगों को सतर्क और बचने की सलाह दे रहे। साथ ही, कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान प्रस्तुत कर रहे।

कोरोना योद्धाओं को समर्पित कलाकृति पसंद की जा रही

शहर के ताजपुर रोड स्थित प्रोफेसर कॉलोनी निवासी सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी कृष्णा स्वामी ने लॉकडाउन अवधि में करीब आधा दर्जन पेंटिंग्स बनाई हैं। इनमें उन्होंने कोरोना से बचने और जागरूकता संबंधी थीम अपनाई है। कोरोना योद्धाओं को समर्पित उनकी कलाकृति सबसे चर्चित और पसंद की जा रही। इसमें उन्होंने पुलिस, डॉक्टर व सफाईकर्मियों को कोरोना को खदेड़ते दिखाया है।

एसबीआइ की हेरिटेज गैलरी में लगी हैं पेंटिंग्स

कृष्णा स्वामी को बचपन से पेंटिंग का शौक था। बैंक में नौकरी मिली तो भी कला के प्रति प्रेम जारी रहा। नौकरी के दौरान कई बेहतरीन पेंटिंग्स बनाईं। बाद में उन्हें पटना स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा की हेरिटेज गैलरी में जगह दी गई।

ऑनलाइन डिमांड का सिलसिला शुरू

कृष्णा स्वामी की पेंटिंग्स मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु समेत देश के कई हिस्सों के अलावा यूएसए, आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी चर्चित है। इनकी भतीजी दीपा माथुर परिवार के साथ आस्ट्रेलिया में रहती हैं। शुरुआती दौर में वे कुछ पेंटिंग साथ ले गई थीं, जिन्हें काफी पसंद किया गया। बाद में ऑनलाइन डिमांड का सिलसिला शुरू हुआ। उनका कहना है कि अब तक छह हजार से अधिक पेंटिंग्स बना चुके हैं। उनकी गैलरी में राधा-कृष्ण, भोलेनाथ, महात्मा बुद्ध, रवींद्रनाथ टैगोर, गोल्डेन टेंपल की पेंटिंग्स शामिल हैं। राजू कहते हैं, वर्ष 1973 में समस्तीपुर जिले की पहली वर्षगांठ पर कार्यक्रम में अपनी कुछ पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई। यह देख तत्कालीन जिलाधिकारी जियालाल आर्य काफी खुश हुए। उन्होंने पुरस्कत किया।

गोल्डेन टेंपल की पेंटिंग बनाने में लगे छह महीने

अमृतसर स्थित गोल्डेन टेंपल की पेंटिंग बनाना काफी कठिन रहा। इसे बनाने में छह महीने लग गए। जिला स्तर पर होनेवाली प्रदर्शनियों में वे कई बार भाग ले चुके हैं। इसमें उन्हें काफी सराहना मिली है। चूंकि वे इसे शौकिया तौर पर करते हैं, इसलिए देश एवं प्रदेश स्तर पर आयोजित प्रदर्शनी में भाग नहीं लिया है।

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