Home देश अमेरिका के बाद अब हम इंडियंस का अफ्रीकी देशों में भी डंका, यूएन भी इन्‍हें करता है सल्‍यूट

अमेरिका के बाद अब हम इंडियंस का अफ्रीकी देशों में भी डंका, यूएन भी इन्‍हें करता है सल्‍यूट

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नई दिल्‍ली। भारत हो या भारतीय इनकी एक अलग ही पहचान है। बात चाहे खुशियां मनाने की हो या दर्द बांटने की या मुश्किल घड़ी में साथ देने की सभी में हम सबसे आगे खड़े होते हैं। दो दिन पहले ही अमेरिकी अखबार न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने भूख से बिलख रहे अमेरिकियों के लिए खाना मुहैया करवाने के लिए वहां मौजूद भारतीय सिख समुदाय की जमकर तारीफ की थी। अब संयुक्‍त राष्‍ट्र ने ट्वीट कर अफ्रीका में शांति सेना का हिस्‍सा बने भारतीय जवानों के काम को सराहा है। यूएन पीसकीपिंग की तरफ से किए गए इस ट्वीट में कहा गया है कि लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के अंतरिम बल यानि यूनीफिल की भारतीय टुकड़ी ने इलाके में जरूरी दवाओं और पशु चिकित्सा सेवाओं के अभाव को देखते हुए, आसपास के गांवों के लिए मेडिकल राहत सामग्री मुहैया कराई है।

मुश्किल घड़ी में भारतीय दल की मदद

संयुक्‍त राष्‍ट्र की तरफ से कहा गया है कि कोविड-19 संकट के कारण बहुत सारी जरूरी आवश्यक सेवाएं जबरदस्‍त तौर पर प्रभावित हुई हैं। इसके चले पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक दल के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। इन खराब होते हालातों के कारण लेबनान में शाबा नगर निगम में गांव की डिस्‍पेंसरी में कुछ खास दवाओं की जबरदस्‍त कमी हो गई थी। इसकी वजह से हर किसी को दिक्‍कत का सामना करना पड़ रहा था। इस मुश्किल घड़ी में जब कोई रास्‍ता नहीं दिखाई दिया तब शाबा नगरपालिका ने वहां तैनात भारतीय शांति रक्षक दल से मदद की गुहार लगाई। भारतीय जवानों के दल ने बिना देरी किए 23 प्रकार की दवाएं गांव की डिस्‍पेंसरी को उपलब्ध करावाईं।

इन गांवों में उपलब्‍ध कराई दवाइयां

भारतीय बटालियन की यूनीफिल चिकित्सा अधिकारी मेजर रवदीप कौर ने अल-अरकौब यूनियन नगरपालिका क्षेत्र के गांवों के उपयोग के लिए जरूरी दवाइयां 29 मई को सामाजिक विकास केंद्र के प्रमुख मोहम्मद सादी को सौंप दी। इस चिकित्सा राहत सामग्री में मुख्य रूप से सांस, पाचन समस्याओं और बाहरी उपयोग के लिए एंटीबायोटिक्स, एनाल्जेसिक, आंखों की दवा, बच्‍चों के इलाज में काम आने वाली दवाएं, मल्टी-विटामिन, स्किन रोग के लिए मरहम और एंटी -एलर्जी दवाएं शामिल थीं। इन दवाओं को उपलब्‍ध कराने के अलावा भारतीय बटालियन की पशु चिकित्सा टीम ने लैफ्टिनेंट कर्नल उमेश मराल के नेतृत्व में 27 से 29 मई तक दक्षिण-पूर्वी लेबनान के 8 गांवों के चरवाहों और किसानों को 12 तरह की पशु चिकित्सा दवाएं भी बांटीं थीं। इसमें जांच और चिकित्सा परामर्श के अलावा, दवाओं का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए भारतीय पशु चिकित्सकों ने चरवाहों को अरबी भाषा में लिखित निर्देश भी मुहैया करवाए जिससे वे इनके इस्‍तेमाल के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।

प्रमुख दायित्‍वों के अलावा निभाते हैं दूसरे भी दायित्‍व

भारतीय दल ने चिकित्सा राहत सामग्री पहुंचाते समय और उन्‍हें गाइडेंस देने के दौरान, कोविड-19 की रोकथाम से संबंधित सभी जरूरी उपायों का सख्‍ती से पालन किया। यूएन के मुताबिक कोविड-19 संकट के कारण कई जगहों पर कई तरह की आपूर्ति में रुकावट आई है और ये बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। ऐसे में भारतीय दल से मिली इस सहायता से एल मैरी, कफर शोउबा, कफर हम्माम, शाबा, बुरगुज, कोकाबा, हाल्टा और अल हेबेरिये समेत अनेक गांवों को फायदा हुआ है और उन्‍होंने राहत की सांस ली है।

शांति सेना में सबसे अधिक जवान भारतीय 

आपको बता दें कि संयुंक्‍त राष्‍ट्र की शांति सेना में सबसे अधिक जवान भारतीय ही हैं। ये जवान बेहद मुश्किल हालात में काम करते हैं और लोगों को सुरक्षा के साथ-साथ उन्‍हें हर तरह की जरूरी सुविधा मुहैया करवाते हैं। यूएन के मुताबिक यूनीफिल के शान्तिरक्षक अपने दूसरे प्रमुख कर्तव्यों के साथ-साथ मेजबान समुदायों की मदद के लिए नियमित रूप से विभिन्न कार्य करते हैं। अपनी संचालन गतिविधियों के साथ-साथ, स्थानीय समुदाय को संकट की स्थितियों में समर्थन और सहयोग देने का ही परिणाम है कि यूनिफिल लगभग 14 वर्षों से इस क्षेत्र में शान्ति और स्थिरता बनाए रखने में कामयाब रहा है।

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