पटना । बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है, लेकिन विपक्षी महाठबधंन में सीट शेयरिंग व नेतृत्व को लेकर जंग छिड़ी हुई है। चुनाव को देखते हुए महागठबंधन में सीट शेयरिंग के पहले समन्वय समिति के गठन की मांग फिर जोर पकडऩे लगी है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी इस मसले पर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने से इन्कार कर दिया है। वे चाहते हैं कि महागठबंधन के नेतृत्व सहित सभी बड़े फैसले समन्वय समिति करे। उधर, महागठबंधन का प्रमुख घटक राष्ट्रीय जनता दल इस मुद्दे पर किसी समझौते के मूड में नहीं है।
समन्वय समिति में हो महागठबंधन का नेता का फैसला
जीतन राम मांझी के निर्देश पर सोमवार को ‘हम’ पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आरजेडी के नेता हैं, महागठबंधन के नहीं। महागठबंधन का नेता कौन होगा इसका फैसला समन्वय समिति में होगा। रिजवान ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि समन्वय समिति का गठन शीघ्र नहीं हुआ तो इसका खामियाजा महागठबंधन को उठाना होगा।
गुप्त बैठक कर बढ़ाया दबाव, कांग्रेस ने भी मांगी अधिक सीटें
यह पहला मौका नहीं है जब इस मुद्दे पर ‘हम’ ने अपने तेवर दिखाए हैं। मांझी समय-समय पर यह मुद्दा उठाते रहे हैं। तीन दिनों पहले जीतन राम मांझी ने अपने आवास पर महागठबंधन के घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा व विकासशील इन्सान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी के साथ गुप्त बैठक कर आरजेडी पर दबाव बढ़ाया था। उसी दिन इसके पहले कांग्रेस ने गठबंधन के तहत अधिक सीटों की मांग रखी थी, साथ ही कहा था कि इसका नेतृत्व कांग्रेस करेगी।
नया नहीं सीट महागठबंधन में शेयरिंग व नेतृत्व का विवाद
विदित हो कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर विवाद पहले भी उठते रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव सहित अन्य कई चुनावाें के दौरान यह मामला गरमाता रहा था। जीतनराम मांझी बार-बार महागठबंधन में समन्वय समिति का मुद्दा भी उठाते रहे हैं। हालांकि, हर बार आरजेडी अपनी बात मनवाने में कामयाब रहा है। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह सहित कई प्रमुख नेता समय-समय पर स्पष्ट कर चुके हैं कि महागठबंधन का नेतृत्व आरजेडी करेगा तथा नेता प्रतिपक्ष होने के नाते तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा हैं।
महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं, आगे-आगे देखिए होता है क्या…
बहरहाल, सालभर के प्रयास में महागठबंधन के सहयोगियों को समन्वय समिति के गठन में सफलता नहीं मिल सकी है। अब देखना यह है कि विधानसभा चुनाव के पहले सीट बंटवारे के पूर्व समन्वय समिति का गठन होता है या नहीं। जो भी हो, इतना तो तय है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।