बकोरिया मुठभेड़ कांड में पुलिस की गलतियों को उजागर करने वाले इंस्पेक्टर हरीश पाठक पर गलत तरीके से विभागीय कार्रवाई की गई थी। पाठक के एक साल का वेतन भी काट लिया गया था। पूरे मामले में जांच के बाद हरीश पाठक के खिलाफ हुई विभागीय कार्रवाई को अब निरस्त कर दिया गया है।वहीं, विभागीय कार्रवाई करने वाले आईपीएस अधिकारियों पर अब कार्रवाई की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि बकोरिया कांड में हरीश पाठक ने ही सबसे पहले इसे फर्जी करार देते हुए सवाल खड़े किए थे। घटना के वक्त पलामू के सदर थानेदार रहे हरीश पाठक को निलंबित कर दिया गया था।
मिन्हाज अंसारी की मौत का मामला : पलामू के बाद हरीश पाठक का तबादला जामताड़ा किया गया था। सोशल साइट पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में मिन्हाज अंसारी को नारायणपुर के तत्कालीन थानेदार हरीश कुमार पाठक ने चार अक्टूबर 2016 को गिरफ्तार किया था। पाठक ने स्वलिखित बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी। बताया था कि ज्योति क्लब, जुम्मन मोड़ नामक एक वाट्सएप ग्रुप में कई आपत्तिजनक फोटो अपलोड किया गया है। इसमें एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावना को आहत करने का आरोप लगाया था। पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद मिन्हाज की तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद मिन्हाज को पीएमसीएच धनबाद रेफर कर दिया, जहां हालत बिगड़ने पर छह अक्तूबर 2016 को उसे रिम्स में भर्ती कराया गया था। वहीं, इस मामले में पुलिस हिरासत में प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए मिन्हाज के करीबियों ने हरीश पाठक की भी पिटाई कर दी थी।रिम्स में इलाज के क्रम में 9 अक्तूबर 2016 को मिन्हाज की मौत हो गई थी। तब पोस्टमार्टम में मिन्हाज की इंसेफलाइटिस से मौत की बात सामने आई थी। मौत के बाद केस सीआईडी को भी टेकओवर हो गया था। मामले में विभागीय जांच में हरीश पाठक को अधिकारियों ने दोषी पाया था। वहीं अब नए तथ्यों के आधार पर इस मामले में भी हरीश पाठक को क्लीनचिट दी गई है।