पश्चिम चंपारण . अब बिहार में हाथियों को बचाने की कवायद शुरू हुई। महावतों को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। उनके लिए भवन बनेगा। हाथी को बचाने को लेकर एक करोड़ 25 लाख का प्रस्ताव वीटीआर प्रशासन ने सरकार को भेजा है। 80 लाख से महावतों के प्रशिक्षण के लिए भवन बनाया जाएगा। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के मंगुराहां स्थित हाथी बचाओ केंद्र को विकसित किया जाएगा। हाथियों एवं महावतों को प्रशिक्षण देने के लिए एक केंद्र खोलने के साथ अन्य व्यवस्थाएं भी की जाएंगी।
हाथी बचाओ केंद्र में अभी सुविधाओं की काफी कमी
हाथी बचाओ केंद्र में अभी सुविधाओं की काफी कमी है। महावतों की संख्या कम होने के साथ प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यह केंद्र अभी छह एकड़ में है। इसे 14 एकड़ में विस्तृत किया जाएगा। यहां 80 लाख खर्च कर महावतों के प्रशिक्षण के लिए भवन बनेगा। इसकी क्षमता 25 महावतों के प्रशिक्षण की होगी। प्रशिक्षण केंद्र में अन्य जगहों से विशेषज्ञ महावतों को बुलाया जाएगा। हाथियों के नहाने के लिए एक तालाब का भी निर्माण होगा। अभी यहां चार हाथी और छह महावत हैं। चार और हाथी असम एवं कर्नाटक के वनों से मंगाए जाएंगे। साथ ही महावतों की संख्या बढ़ाकर 11 की जानी है।
आसपास के ग्रामीण भी होंगे प्रशिक्षित
इस प्रशिक्षण केंद्र का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इससे नेपाल से आने वाले हाथियों की निगरानी रखी जा सकेगी। उन हाथियों को प्रशिक्षित महावत पुन: नेपाल भेज सकेंगे। नेपाल से आने वाले हाथियों से यहां कई बार जानमाल का नुकसान हो चुका है। वर्ष 2015 में नेपाली हाथियों के उत्पात से दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी। 2016 में भी एक की मौत हुई थी। इसके अलावा हर साल नेपाली हाथी फसलों को भारी क्षति पहुंचाते हैं। यहां स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे नेपाली हाथियों के उत्पात से फसलों व स्वयं को बचा जा सकें। क्षेत्र निदेशक वीटीआर एचके राय का कहना है कि हाथी बचाओ केंद्र के लिए वार्षिक कार्ययोजना से अलग प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद छह माह में यह बनकर तैयार हो जाएगा।