मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को प्रवासी राहगीरों की सहूलियत के लिए राज्य की सीमा में हाईवे पर हर बीस किलोमीटर पर सामुदायिक किचन खोलने का निर्देश दिया है। छायादार स्थान पर निशुल्क भोजन और पानी की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही पैदल चलने वाले लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में 31 मई तक दीदी किचन खुले रहेंगे। करीब 7000 स्थानों पर दीदी किचन का संचालन किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य की सीमा में पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों को रोककर सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्देश दिया जा चुका है। ऐसे लोगों के लिए आराम और भोजन के साथ स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था भी कराई गई है। जगह-जगह बने शिविर में इन लोगों को इकट्ठा किया जाएगा। उसके बाद उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था भी राज्य सरकार करेगी। दूसरे राज्य के पैदल मुसाफिरों को भी उनके राज्य के नोडल अधिकारी से समन्वय कर गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था झारखंड सरकार कर रही है।
लॉक डाउन के स्वरूप पर नए सिरे से विचार :
मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय से लोग जौनपुर के लिए दिशा-निर्देश प्राप्त हो चुका है। सरकार अध्ययन कर रही है कि कहां छूट देनी है और कहां नहीं देनी है। राज्य में प्रवासी श्रमिकों के लौटने से चुनौतियां बढ़ी हैं, इन सभी स्थितियों पर गौर करते हुए नए सिरे से लॉक डाउन के स्वरूप पर सोचना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रांची और विशेषकर हिंदपीढ़ी को कोरोना संक्रमण के कारण लगातार निशाना बनाया गया। लेकिन आज कोरोना रिकवरी दर में सबसे आगे निकलकर रांची ने मिसाल कायम की है और बहुत जल्द रांची रेड जोन से बाहर आ जाएगी, ऐसी उन्हें उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने मजदूरों को पैदल नहीं चलने देने का निर्देश जारी किया है फिर भी जगह-जगह मजदूर पैदल चलते दिख रहे हैं और बीते दिन औरैया सड़क हादसे में मृतकों को एंबुलेंस ना मिल पाना अमान भी आता है दूसरी ओर झारखंड सरकार ने अपने संसाधनों से वापस लौट रहे श्रमिकों को हर मुमकिन सहूलियत देने का प्रयास कर रही है और सरकार ने मजदूरों के साथ संवेदनशील बने रहने का संकल्प लिया है।