रांची. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार ने कोल सेक्टर (Coal Sector) को निजी हाथों में सौपने का निर्णय लिया है. केन्द्र के इस फैसले से झारखंड में पहले से नीलामी के लिए तैयार 22 कोल माइंस (Coal Mines) को निजी हाथों (Privatization) में सौंपने की संभावना बढ़ गई है. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों को अब निजी कंपनियों से कड़ी चुनौती भी मिलने वाली है. झारखंड में देश का 39% कोल रिजर्व है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की अप्रैल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 83,152 मिलियन टन कोल रिजर्व मौजूद है. जिसमें 45,563 मिलियन टन प्रमाणित है, वहीं 31439 मिलियन टन के मिलने की संभावना व्यक्त की गई है.राज्य में पहले से कोल माइनिंग का काम सीसीएल, बीसीसीएल एवं ईसीएल जैसी सरकारी कंपनियां कर रही हैं. लेकिन केन्द्र के नये फैसले से आने वाले दो-तीन वर्षों में झारखंड में कोयला क्षेत्र में तेजी से विस्तार होने की संभावना है. जिससे रोजगार बढ़ने के भी आसार हैं. राज्य में 22 कोल ब्लॉक की जल्दी नीलामी होने वाली है. पहले की योजना के मुताबिक यह नीलामी अप्रैल महीने में ही होने वाली थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ये नहीं हो सका था.
इन कोल ब्लॉक की नीलामी होनी है
अशोक करकट्टा (नॉर्थ कर्णपुरा)- 155
ब्रहमाडीहा (गिरिडीह)- 05
बुंडू (नॉर्थ कर्णपुरा)- 102
बुराखाप स्मॉल पैच (रामगढ़)- 9.68
चकला (नॉर्थ कर्णपुरा)- 76.05
चितरपुर (नॉर्थ कर्णपुरा)- 222.43
कोरियाटांड़ (तिलैया)- 97.03
गोंदुलपारा (नॉर्थ कर्णपुरा)- 176.33
जयनगर (साउथ कर्णपुरा)- 77.52
जगेश्वर एवं खास जगेश्वर (वेस्ट बोकारो)- 84.03
लालगढ़ नॉर्थ (वेस्ट बोकारो)- 27.04
लातेहार (औरंगा)- 22.04
महुआगढ़ी (राजमहल)- 305.95
नॉर्थ दहादू (नॉर्थ कर्णपुरा)- 923.94
पतरातू (साउथ कर्णपुरा)- 450
राजहरा नॉर्थ (डाल्टेनगंज)- 20.27
राउतास क्लोजड माइन (रामगढ़)- 07
सेरेनग्रहा (नॉर्थ कर्णपुरा)- 187.29
सीतानाला (झरिया)- 100.9
उर्मा पहाड़ीटोला (राजमहल)- 579.3
महुआमिलान (नॉर्थ कर्णपुरा)- 101.24
तोकीसूद-2 (साउथ कर्णपुरा)- 127.69
जानकारों का मानना है कि केन्द्र ने निजी कंपनियों को खनन के साथ-साथ कोयला बिक्री का भी अधिकार देने की तैयारी कर ली है. इससे झारखंड में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को निजी कंपनियों से कड़ी चुनौती मिलेगी. जमकर माइनिंग होगी. कोल इंडिया से रिटायर हुए पूर्व महाप्रबंधक बीएन झा और सीसीएल से रिटायर हुए पूर्व महाप्रबंधक अजय कुमार का मानना है कि इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. कोरोना संकट के कारण नौकरी गंवा चुके प्रवासियों को अपने गृह प्रदेश में काम करने का अवसर मिलेगा.
केन्द्र के फैसले के बाद राज्य सरकार नफा नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई है. सूबे के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की माने तो कोल सेक्टर का प्राइवेटाइजेशन घातक है. बहरहाल 2023-24 तक कोल इंडिया की सालाना उत्पादन क्षमता एक बिलियन टन करने का लक्ष्य रखा गया है. 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाना है. ऐसे में भले ही कोल सेक्टर निजी हाथों में सरकेगा, मगर इसके जरिए बड़े पैमाने पर नियोजन के अवसर भी मिलने की संभावना है.