बोकारो. औरैया हादसे में मारे गये मजदूरों के शव बोकारो पहुंचा. यहां चास के आईटीआई मोड़ में सभी 11 शवों को सेनिटाइज किया गया. फिर यहां से गांव से भेजा गया. सभी मजदूर एक ही पंचायत के रहने वाले थे. गोपालपुर के 5, खीराबेड़ा के 5 और एक मजदूर बाबूडीह का निवासी था. शव के गांव पहुंचते ही मातम का माहौल बन गया. परिवार की महिलाएं शव देखना चाहती थीं. लेकिन प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया. बारी-बारी सभी शवों का अंतिम संस्कार डीडीसी, एसडीओ समेत जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ.शनिवार तड़के यूपी के औरैया में हुए दर्दनाक हादसे में झारखंड के 11 मजदूरों की मौत हो गई. ये सभी राजस्थान से घर लौटे रहे थे. स्थानीय प्रशासन ने मजदूरों के शव एंबुलेंस के बदले ट्रक के जरिये बोकारो भेज दिया. उसी ट्रक पर शवों के साथ ही हादसे में घायल कुछ मजदूरों को भी बिठा दिया गया.शवों से आ रही तेज दुर्गंध के बीच बैठे घायलों की तस्वीर को जब झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए अपने राज्य के अफसरों को शवों और घायलों को सम्मान देने को कहा. तब जाकर यूपी का सरकारी अमला हरकत में आया. आनन-फानन में इस ट्रक को संगम नगरी प्रयागराज में दिल्ली-हावड़ा नेशनल हाइवे पर रोका गया. फिर शवों को एम्बुलेंस में रखकर बोकारो के लिए रवाना किया गया.
ट्रक ड्राइवर बोला- दुर्गंध के कारण बैठना मुश्किल था
ट्रक के ड्राइवर राजेश के मुताबिक शवों से इतनी दुर्गंध आ रही थी कि आगे भी बैठना मुश्किल हो रहा था. औरैया से चलने के बाद जब उन्हें घायलों के बारे में एहसास हुआ तो उन्होंने मानवीयता दिखाते हुए घायलों को आगे अपने पास केबिन में बिठा लिया. हालांकि इस मामले में आईजी केपी सिंह ने सफाई दी कि औरैया छोटा जिला है. वहां एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई. इसलिए डीसीएम (छोटा ट्रक) से शवों को भेजा गया. बता दें कि शनिवार तड़के मजदूरों से लदे डीसीएम में ट्रक ने टक्कर मार दी. इस घटना में कुल 24 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 35 से ज्यादा घायल हो गये.