रांची की किसान किरण खलखो अब देश भर में महिला किसानों के लिए रोल मॉडल बनेंगी। इनकी सफलता की कहानी देशभर के किसानों को बताई जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की सोसाइटी लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) ने इनकी कामयाबी कहानी पर वीडियो बनाने का निर्णय लिया है। ई-नाम पोर्टल पर भी सफल महिला किसान के रूप में इनकी कहानी दिखाई जाएगी। रातू प्रखंड की चितरकोटा गांव की रहने वाली किरण खलखो ने अपने बूते इस बार डेढ़ एकड़ खेत में लगभग 40 टन तरबूज की खेती की है।पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी किरण खलखो कहती हैं कि खेती के कारण ही उनके ग्रेजुएशन की पढाई पूरी नहीं हो पाई। वे एक विषय में फेल हो गईं। वे कहती हैं कि यह उन्हें परिवार से मिला पेशा है। कुल 10 एकड़ खेत है जिस पर वे खेती कर रहीं हैं। पिछले 10 साल से वे इसमें मेहनत कर रहीं हैं। पहले पारंपरिक खेती हुआ करती थी। जब से उन्होंने मोर्चा संभाला है, उन्होंने इसे व्यवसाय से जोड़ दिया है। वे वैज्ञानिक तकनीक से खेती करती हैं। तरबूज के अलावा टमाटर, गोभी, करेला आदि मौसमी सब्जियों की भी खेती करती हैं।
किरण कहती हैं कि उनके पास खेती ही आर्थिक आमदनी का एकमात्र साधन है। परिवार को छोड़कर वे बाहर जा नहीं सकती हैं और राज्य में रोजगार मिला नहीं। तब उन्होंने इसे चुना और इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी। वे खुद ट्रैक्टर से खेत जोतती हैं। जब पानी की दिक्कत हुई, तो उन्होंने ड्रिप एरिगेशन विधि अपना कर इसे दूर किया। बजार नहीं मिला, तो उन्होंने तकनीक के इस्तेमाल(इ-नाम) से खेत से ही अपनी कृषि उपज को बेचना शुरू कर दिया।
किरण की चिंता है कि उनके उपज का मात्र एक हिस्सा तरबूज ही बिका है। उन्हें अभी 30 टन तरबूज और बेचना है और इसके लिए वे ग्राहक का इंतजार कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 80 हजार रुपए तरबूज की खेती में लगे हैं और लॉकडाउन की वजह से अब तक मूलधन भी वापस नहीं आ पाया है।
किरण राज्य में सफल किसानों का चेहरा हैं। कृषि बाजार समिति लगातार ऐसे किसानों को बढ़ावा दे रही है। इसी के तहत इनकी सक्सेस स्टोरी लोगों को दिखाने का निर्णय एसएफएसी ने लिया है। ई-नाम के माध्यम से उनके उपज को खेत से ही बाजार पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।