लॉकडाउन-3 में तमाम छूट मिलने के बावजूद उद्योग पूरी तरह नहीं खुल पाए हैं। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में जो औद्योगिक इकाइयां खुली भी हैं, वहां उत्पादन अभी आधे से भी कम हैं। ऐसा पूरी क्षमता से काम न हो पाने और मजदूरों के उपलब्ध न होने के कारण है। उधर, प्रवासी श्रमिकों के लौटने से एक और संकट खड़ा होने लगा है। गांव भी कोरोना के संक्रमण की जद में आने लगे हैं। बिहार में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां शहरी क्षेत्र के मुकाबले गांव में 70 फीसदी संक्रमण फैला है।देहरादून। राज्य में कुल 12000 बड़े उद्योगों में से आठ हजार में काम शुरू हो चुका है। आम दिनों की अपेक्षा यहां अभी 35 से 50 प्रतिशत ही उत्पादन हो पा रहा है। हालांकि लॉकडाउन-1 की तुलना में कारोबार तीन गुना बढ़ा है। अपर आयुक्त राज्य कर विपिन चन्द्र का कहना है कि राज्य में सामान्य दिनों में उत्पादन के बाद औसतन 11 हजार ई-वे बिल बनते थे, जो अभी चार हजार ही रह गए हैं। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष लतीफ चौधरी का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक कम मजदूरों को काम पर लगाया गया है। कच्चे माल की कमी और मांग कम होने से उत्पादन कम है।राज्य में एक सप्ताह में कोरोना के 25 नए मामले सामने आए हैं। ये सभी संक्रमित अन्य राज्यों से लौटे हैं। ऐसे में प्रवासियों की वजह से तीन पर्वतीय जिलों अलमोड़ा, उत्तरकाशी और पौड़ी तक संक्रमण पहुंच गया है। हालांकि अभी तक पहाड़ के एक ही गांव में पॉजिटिव केस मिलने से स्थिति नियंत्रण में है।लखनऊ। मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटी-बड़ी कुल मिलाकर 26000 औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें से लगभग 15000 में कामकाज शुरू हुआ है, लेकिन उत्पादन 25 से 35 प्रतिशत ही है। लॉकडाउन से पहले यह क्षमता 90 फीसदी तक थी। अभी भी निर्यात और मशीनरी पुर्जों से जुड़ी इकाइयों में काम शुरू नहीं हो पाया है। उधर, ग्रामीण क्षेत्रों के भी सभी उद्योग कच्चे माल की कमी के कारण पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे। जानकारों का कहना है कि बाजार बंद होने और मांग न होने से कई इकाइयां बंद हैं।
कई जिलों ने ग्रीन जोन से हाथ धोया
पिछले एक सप्ताह में पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके कारण ग्रीन जोन वाले 14 जिले रेड जोन में बदल गए। वहीं, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, फतेहपुर, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, महोबा, हमीरपुर, कानपुर देहात, देवरिया, कुशीनगर और चंदौली आदि जिले ग्रीन जोन से ऑरेंज जोन में पहुंच गए हैं।
झारखंड : 95 फीसदी लघु उद्योगों में ताला
रांची। झारखंड में औद्योगिक सुस्ती छाई हुई है। टिस्को, टेल्को, बोकारो स्टील प्लांट और एचईसी जैसे बड़े प्लांटों में अभी काम की रफ्तार बहुत धीमी है। 95 फीसदी लघु उद्योग भी बंद पडे़ हैं। जो उद्योग खुले भी हैं वहां सिर्फ मरम्मत का काम हो रहा है। बुलाने के बावजूद मजदूर अभी काम पर नहीं पहुंचे हैं। क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक दूरी को बरकरार रखते हुए उत्पादन शुरू करना मुश्किल है। इसलिए उद्योगपति बाजार के खुलने का इंतजार कर रहे हैं।