ओडिशा से पैदल साहिबगंज आ रहे एक बुजुर्ग की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ गई, जिससे उसकी जमशेदपुर में मौत हो गई। टाटानगर स्टेशन के पास पहुंचते ही बुजुर्ग की हालत बिगड़ गई। बुजुर्ग के साथ मौजूद युवक ने पास के चेकपोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों को सूचना दी। पुलिस ने तुरंत एंबुलेंस को बुलवाया, लेकिन बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने शव को एमजीएम अस्पताल के शीतगृह में रखवा दिया है। उसके साथ आये युवक को कदमा स्थित क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। बताया जाता है कि निरन कर्मकार (50) और मो. मेंबर शेख दोनों साथ ही सोमवार को ओडिशा के बड़बिल से अपने गांव साहिबगंज राजमहल स्थित लक्खीपुर जाने के लिए पैदल निकले थे। कुछ किलोमीटर चलने के बाद उन्हें एक बोलेरो मिली। बोलेरो चालक से मदद मांगकर दोनों चाईबासा तक पहुंचे। बुधवार रात दोनों चाईबासा में रुके। वहां से एक ट्रक में बैठ कर दोनों गुरुवार को टाटानगर स्थित चाईबासा स्टैंड के पास पहुंचे। यहां बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ गई। मृतक बुजुर्ग निरन कर्मकार और मो. मेंबर शेख दोनों ओडिशा में ही लकड़ी का काम करते थे।
घटना की जानकारी पुलिस ने निरन कर्मकार के परिजनों को फोन पर दी। इसके बाद उसका पुत्र जीतेन कर्मकार और उसका भतीजा अमित कर्मकार जमशेदपुर के लिए गुरुवार शाम निकल गए। स्थानीय विधायक द्वारा उन्हें शव वाहन उपलब्ध करवाया गया है। इधर, पुत्र जीतेन ने फोन पर बताया कि पिता को लॉकडाउन में घर आने से घर वालों ने मना भी किया था, परंतु वे नहीं माने। बेटे के अनुसार पिता को हमेशा से ही पेट में दर्द रहता था। बागबेड़ा पुलिस पहले तो बुजुर्ग के शव को लेकर सीधे एम्बुलेंस से पोस्टमार्टम कराने के लिए पोस्टमार्टम हाउस ले गई। वहां पुलिस को बताया गया की शव की सैंपल जांच के बाद उसका पोस्टमार्टम हो सकता है। इसके बाद पुलिस शव को लेकर एमजीएम अस्पताल पहुंची, जहां शव को अस्पताल के शीतगृह में रख दिया गया। मृतक के साथ मौजूद युवक को कदमा क्वारेंटाइन सेंटर भेज दिया गया है। थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है। वे शहर के लिए निकल चुके हैं। लगभग पांच-छह महीने पहले ही दोनों काम करने के लिए बड़बिल गए थे। लॉकडाउन होने के बाद से इनके पास काम नहीं था। बेरोजगार होने और खाने-पीने की समस्या होने के कारण दोनों अपने गांव लौटने के लिए पैदल ही निकल गए। किसी तरह वे लोग टाटानगर स्टेशन पहुंचे। मो. मेंबर ने बताया कि दोनों सोमवार सुबह ओडिशा से निकले थे। रास्ते में कुछ स्थानों में उन्हें मदद मिली। बीच-बीच में कुछ वाहनों की मदद लेकर वह आगे बढ़ते रहे। रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें भोजन भी करवाया। मेंबर ने बताया कि एक गांव के होने और साथ काम करने के कारण बड़बिल में भी दोनों एक कमरे में साथ रहते थे। निरन पूर्ति कारपेंटर का काम करता था तो वह हेल्पर था। उसने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उन्हें लगा की टाटानगर पहुंचने पर देवघर के लिए उन्हें ट्रेन मिल जायेगी, परंतु यहां पहुंचने पर उन्हें ट्रेन नहीं चलने की जानकारी मिली। दोनों चाईबासा स्टैंड के पास बैठ कर घर तक कैसे पहुंचें, इसके लिए बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान निरन की तबियत बिगड़ गई और वह अचेत होकर गिर पड़े।