लॉक डाउन के दौरान तमिलनाडु में फंसे 1,037 मजदूर बुधवार की सुबह झारखंड लौटे। काफी दिनों से लॉक डाउन के दौरान चेन्नई फंसे श्रमिकों के चेहरे पर अपने घर लौटने खुशी दिखी। इस मौके पर हटिया स्टेशन पर जिला प्रशासन की ओर से सभी प्रवासी श्रमिकों का गुलाब देकर स्वागत किया गया। चेन्नई से हटिया तक रेल किराए की भुगतान सरकार की ओर से किया गया। इससे उनकी घर वापसी की खुशी और बढ़ गयी थी। स्टेशन पर ट्रेन से उतरने के बाद सभी श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग जांच की गई। इसके साथ ही उन्हें नाश्ते के पैकेट और दो लीटर के कोल्ड ड्रिंक भी दिए गए। इसके बाद स्टेशन परिसर के बाहर खड़ी बसों से मजदूरों को विभिन्न जिलों के लिए रवाना कर दिया गया। इस ट्रेन से आने वाले सभी यात्रियों के 745 रुपए रेल किराया का भुगतान सरकार की ओर से किया गया था। चेन्नई से आए मोहम्मद सलीम ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान वह बुरी तरह फंस गए थे। लेकिन सरकार ने उनके लिए अच्छी पहल की है। लॉक डाउन में फंसे होने के कारण उसके पास पैसे की कमी हो गई थी। ऐसे में सरकार ने उनका किराया माफ कर दिया। इससे उसे बड़ी राहत पहुंची है। हालांकि इससे पहले हटिया स्टेशन पर आई सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेन में मजदूरों से किराया लिया गया।वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को अपने घर भेजने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अलग-अलग कुल 49 बसों की व्यवस्था की गई थी। इनमें कई जिलों से आई बसों में वहां फंसे मजदूरों को भी हटिया लाया गया। हटिया से इन मजदूरों को अपने गृह जिला भेज दिया गया। पलामू के श्रमिक सबसे ज्यादाआज ट्रेन से बोकारो जिला के 27, चतरा के एक, देवघर के 53, धनबाद के एक, दुमका के 21, पूर्वी सिंहभूम के 26, गिरिडीह के एक, गोड्डा के नौ, जामताड़ा के नौ, लातेहार के 48, लोहरदगा के नौ, रामगढ़ के चार, गढ़वा के 329, पलामू के 448, रांची के 11, सरायकेला खरसावां के 28, साहिबगंज के एक और पूर्वी सिंहभूम के 11 प्रवासी मजदूर हटिया स्टेशन पहुंचे थे।राउरकेला से आए मजदूरों को भेजाहटिया स्टेशन में राउरकेला से विभिन्न मार्गों से होते हुए कई मजदूर भी पैदल रांची आए थे। विभिन्न जगहों पर इन्हें पकड़ कर हटिया स्टेशन लेकर आए। यहां से संबंधित जिलों के बसों में इन मजदूरों को सवार करते हुए उन्हें संबंधित जिलों के लिए भेज दिया गया।
लॉक डाउन दौरान वहां हमारी स्थिति काफी खराब हो गयी थी। पैसे खत्म हो गए थे। वहां पर हरिनारायएण कंपनी में सरिया बिछाने का काम करता था। लॉक डाउन के कारण हम यहां आना चाहते थे। वहां के अधिकारियों ने हमारा पंजीकरण किया। सरकार की ओर से ही रेल किराया दिया गया है।-सोनू कुमार, मजदूर, पलामू
मैं भी हरिनारायण कंपनी में मजदूर था। लॉक डाउन के दौरान वहां पैसा खत्म हो गया था। खाने-पीने के लिए दूसरों पर ही निर्भर रहना पड़ता था। सभी चीजें ठप थी। बाहर निकलने पर पाबंदी थी। इससे हमारी स्थिति काफी खराब होती जा रही थी। ऐसे में यह स्पेशल ट्रेन हमारे लिए काफी मददगार हुई।-मनोज भुइंया, मजदूर, छतरपुर
पति दीपक उरांव वहां कारपेंटर का काम करता था। हम भी वहां रहते थे। मैं काम नहीं करती थी। पैसे नहीं थे। लेकिन इसी दौरान इस ट्रेन के बारे में पता किया। स्थानीय लोगों के मदद से हमारी भी पंजीकरण हो गयी। किराया नहीं लगा और अब हम अपने घर लौट रहे हैं।-सुमनी देवी, खलारी