भागलपुर। ‘मां!’ यह वो अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम-रोम पुलकित हो उठता है, वैसे तो हर संतान के लिए पूरी जिंदगी मां के लिए समर्पित है, लेकिन यह दिन बस एक बहाना है मां को स्पेशल फील करवाने का। एक मां हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखने वाली और उन्हें पूरा करने वाली देवदूत होती है। वह गंभीरता में समुद्र और धैर्य में हिमालय के समान है।
अच्छे संस्कार के साथ-साथ मां ने ही पढ़ाया ईमानदारी का पाठ
बेटे के लिए मां के त्याग और बलिदान को शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। मैं आज जो हूं, माता-पिता की वजह से हूं। मेरी मां गंगोत्री देवी सरल स्वभाव की हैं। उन्होंने ही मुझे अच्छे संस्कार के साथ-साथ ईमानदारी का पाठ पढ़ाया है। मां की पाठशाला में अंकुरित होकर ही मैंने यह मुकाम हासिल की है। मेरी मां मेरे साथ रहती है। आज भी वह हर मुश्किल घड़ी में मेरे साथ खड़ी रहती है। मां मेरे पूरे परिवार की धड़कन हैं। स्कूल के समय से ही वो मेरा उत्साह बढ़ाती थीं। मां का जीवन में अनमोल स्थान है। – सुजीत कुमार, डीआइजी भागलपुर
कॅरियर के संघर्ष में मां ने कभी हारना नहीं सिखाया
आज मैं जिस मुकाम पर हूं, मां की बदौलत हूं। मां के भरोसे ने ही मुझे मुकाम दिलाया। मेरी मां प्रमिला देवी मेरे साथ रहती है। कॅरियर के महत्वपूर्ण पड़ाव में जब कभी भी मैं जब निराशा होता, मां मेरे साथ खड़ी रहती थी। उन्होंने कभी भी मुझे निराश नहीं होने दिया। वह हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती थी। कॅरियर के संर्घष के दिनों में कभी हारने नहीं दिया। मुझे वह दिन आज भी याद जब मुझे पहली सफलता मिली थी, सबसे पहले मैंने मां को यह बात बताई। खबर सुनते ही वह बारिश में भींगते हुए मंदिर पहुंच गई थी। मां अनमोल है। – सुशांत कुमार सरोज, सिटी एसपी
हर मुश्किल घड़ी में मेरे साथ खड़ी रही मां
मां का मतलब ही ममता होता है। मेरी मां आशा देवी मेरे लिए अनमोल है। बचपन से लेकर आज तक मेरी सफलता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मुश्किल घड़ी में मां और पिता मेरे साथ हमेशा खड़े रहे। मां ने अच्छे संस्कार दिए। मां का त्याग, बलिदान, ममत्व एवं समर्पण अपनी संतान के लिये इतना विराट है कि पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो भी मां के ऋण को नहीं उतारा जा सकता है। आज भी मां मुझे मुश्किल घड़ी में बच्चों की तरह दुलार करती है। कर्तव्य के कारण लॉकडाउन के दौरान मां के पास इस बार नहीं जा पाया। -आशीष भारती, एसएसपी भागलपुर
धरती की तरह हैं मां
मां धरती की तरह होती है। जिस तरह धरती पेड़ को बड़ा कर फलने लायक बनाती हैं, ठीक उसी प्रकार मां अपने बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा करती है। मेरी मां गृहणी थीं। साधारण परिवार से आने के बावजूद बच्चों को पढऩे-लिखने की प्रेरणा दी। मां ने हमें कर्तव्यबोध सिखाया। आज जो भी हंू मां की वजह से हूं। – राजेश कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी
मां ने खुद नहीं की नौकरी
मां ने हम भाई बहनों को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए सिखाया। मां ने हमलोगों को आगे बढ़ाने के लिए खुद नौकरी नहीं की। एमए तक पढ़ी मां को लेक्चरर की नौकरी मिल रही थी। लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं कर हमलोगों को पटना के अच्छे स्कूलों में पढ़ाया। आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। – अर्चना कुमारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी
मां ने मुझे चलना सिखाया
आज मैं जो भी मां की बदौलत हूं। मां हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। जब मैं अरुणाचल प्रदेश से भागलपुर पढऩे आया तो मां भी रहने आ गई। मां हमेशा हौसला बढ़ाती थी। मां की बदौलत मैंने बैंक की कई परीक्षाएं पास की। – सर्वज्ञ, पीओ, एसबीआइ
मां ने बढ़ाया हौसला
मां हमेशा आगे बढऩे का हौसला बढ़ाती थी। मैं जब पढ़ता था, तब मां अपने हाथों से खाना खिलाती थी। कोई भी रुकावट आने पर मां उसे दूर कर देती थी। मां ने कभी डांट नहीं पिलाई। हमेशा प्यार किया। मैं आज जो भी मां की बदौलत हूं। – अनिल कुमार, मोटर यान निरीक्षक
मां का प्यार निश्छल होता है। इस दुनिया में मां भगवान का इंसानी रूप है। मां की जगह कोई नहीं ले सकता है। मेरी मां मेरे हर मोड़ पर मेरे साथ खड़ी रहती है। उनके बारे में बताने के मेरे लिए शब्द ही नहीं है। – जूही जास्मिन झा, सामाजिक कार्यकर्ता
मां हर बच्चे के लिए सुखदुख में अग्रणी भूमिका में होती है। उनका प्यार और दुलार ही हमें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। मेरी मां भी मेरे साथ दोस्त की पेश आती हैं। उनके बिना जीवन व्यर्थ है। – भूमिका प्रभा, छात्रा
हर इंसान के लिए जिंदगी में मां ही सबकुछ होती है। मेरे लिए भी मेरी मां ऐसी ही हैं। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। मेरी मां मेरे साथ एक गुरु और दोस्त की तरह है। उनका कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता है। – श्रेया सिंह, छात्रा
बच्चों की पहली गुरु मां होती हैं। मेरी सफलता के पीछे मेरे माता-पिता का योगदान है। मां का प्यार ही सब कुछ होता है। मां का स्थान कोई नहीं ले सकता है। – राज श्री, प्रभारी महिला कोषांग
मां ने ही मुझे अच्छे संस्कार दिए हैं। उनका त्याग और बलिदान बच्चों के लिए दवा के समान है। खुद कष्ट में रहकर अपने बच्चों के लिए कुछ भी सहने को तैयार रहती हैं। – विवेक शर्मा, युवा व्यवसायी
मुझे मेरी मां ने हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया है। उनकी ही सीख से आज जीवन में अग्रसर हूं। महत्वपूर्ण व कठिन समय में मां की ममता ही मुझे मजबूती प्रदान करती हैं। उनकी भूमिका मेरे जीवन में सर्वोपरि है। – रघुबीर मोदी, युवा व्यवसायी