गुजरात में मौजूद 85 हजार से अधिक प्रवासी लोगों ने वापसी के लिए नामांकन करा लिया है। अगर बीस स्लीपर कोच वाली एक ट्रेन में सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए औसतन 1200 श्रमिकों को लाया जाए तो गुजरात में फंसे इन झारखंडियों को वापस लाने में 70 दिन लग जाएंगे। अगर दो ट्रेन चलाया जाए तब भी 35 दिन लग जाएंगे। गुजरात से सूरत और मोरवी से दो ट्रेन करीब 2400 लोगों को लेकर झारखंड पहुंच चुकी है। सर्वाधिक 1.20 लाख पंजीकरण महाराष्ट्र से कराया गया है, लेकिन अत्यधिक कोरोना संक्रमण के कारण यहां से झारखंड वापसी की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।वापसी के लिए 5.5 लाख पंजीकरण, सर्वाधिक 1.2 महाराष्ट्र सेसरकार की ओर से जारी वेब लिंक पर झारखंड वापसी के लिए करीब 5.5 लाख प्रवासी लोगों ने पंजीकरण करा लिया है। महाराष्ट्र और गुजरात के बाद वापसी के लिए अधिक पंजीकरण वाले राज्यों में तमिलनाडु से करीब 73 हजार, कर्नाटक 48 हजार, दिल्ली 38 हजार, हरियाणा 23 हजार, उत्तर प्रदेश 23 हजार, आंध्र प्रदेश से 20 हजार फंसे लोगों ने वापसी के लिए पंजीकरण कराया है। पड़ोसी राज्यों में बसों सरकार के निर्णय के अनुसार पड़ोसी राज्यों में फंसे झारखंड के प्रवासी लोगों को बसों से वापस लाया जा रहा है। जिला प्रशासन के माध्यम से बसें चलाई जा रही हैं। अब तक लगभग दस हजार से अधिक लोग बसों से वापस लौट चुके हैं। पश्विम बंगाल से वापसी के लिए लगभग 17 हजार लोग पंजीकरण कराया है। एक बस में सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए 20 से 22 लोगों बैठाया जा रहा है। केवल पश्चिम बंगाल में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए करीब 725 बार बसों को फेरा लगाना पड़ेगा। इसी प्रकार बिहार से करीब 12000 लोगों वापस आना चाहते हैं। ओड़िशा से 16 हजार, छत्तीसगढ़ से 5500 श्रमिक लौटना चाहते हैं। अन्य राज्यों में लौटने वालों की संख्या तीन-चार हजार से कम है।40 हजार से अधिक लोग लौट चुकेराज्य में अब तक करीब ट्रेन, बस और निजी वाहनों से 40 हजार प्रवासी लोग लौट चुके हैं। गृह मंत्रालय की अनुमति से पूर्व विभिन्न साधनों से लॉक डाउन की अवधि में करीब दो लाख से अधिक लोग झारखंड में वापस लौट चुके हैं। बस अब हमें घर जाना हैविभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों का सब्र टूटने लगा है। मंगलुरू में फंसे झारखंड के काफी संख्या में मजदूरों ने ‘बस अब हमें घर जाना है का नारा देकर अभियान शुरू कर दिया है। मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या काम बंद और पैसा खत्म होना है। श्रमिक अपनी जिंदगी की नई शुरुआत अपने प्रदेश से करना चाहते हैं। उन्हें खाने-पीने की दिक्कत हो रही है। कई जगहों पर वेतन नहीं मिलने पर भी चिंता की लकीरें गहरी हुई हैं। यही वजह है कि दक्षिण, पश्चिम भारत के राज्यों से लोग बड़ी संख्या में पैदल ही वापस आते दिख रहे हैं। झारखंड के विभिन्न जिलों गढ़वा, चाईबासा आदि में ऐसा देखने को मिला है। वक्त लगेगा, लेकिन सबको वापस लाएगी सरकारमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दूसरे राज्यों में फंसे झारखंड के लोगों को सब्र रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के तहत सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए एक ट्रेन में करीब 1200 लोगों को ही लाया जा सकता है। सरकार तमाम राज्यों से लगातार ट्रेन चलवा रही है। सरकार ने लौटना चाह रहे हर प्रवासी को वापस लाने तक अपनी व्यवस्था कायम रखेगी।
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