पटना। बिहार सरकार की पहल पर पांचों दिन के अंदर लॉकडाउन में कोटा (राजस्थान) में फंसे 13473 स्टूडेंट्स की घर वापसी हुई है। सभी स्टूडेंट्स वहां मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोटा जिला प्रशासन की तरफ से सूचित किया गया था कि वहां करीब 12000 छात्र-छत्राएं हैं। इन्हें वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम किया गया। रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद इन्हें विशेष बस से मुफ्त में जिला मुख्यालय, प्रखंड मुख्यालय और थाना क्षेत्र में भेजा गया।
10 स्टेशनों पर किया गया था 725 बसों का इंतजाम
लॉकडाउन के दौरान दानापुर, दरभंगा, बरौनी, गया, कटिहार, आरा, सहरसा, बिहार शरीफ, मोतिहारी एवं मुजफ्फरपुर में 11 ट्रेन कोटा से आई हैं। विभिन्न स्टेशनों पर आए विद्यार्थियों को उनके गृह प्रखंड तक 725 बसों से भेजा गया।
जिलेवार विद्यार्थियों की संख्या
सबसे अधिक पटना जिले के 1250 विद्यार्थी आए हैं। इसके बाद नालंदा के 952, पश्चिमी चम्पारण के 750, दरभंगा एवं मधुबनी के 600-600, मधेपुरा के 572, गया के 553, सहरसा के 511, सुपौल के 527, रोहतास के 553, मुजफ्फरपुर के 474, नवादा के 409, पूर्णिया के 375, सीतामढ़ी के 341 और भागलपुर के 348 छात्र-छात्राएं आईं हैं।
सरकार ने भरा ट्रेन का किराया
लॉकडाउन की अवधि में कोटा से बिहार आए छात्र-छात्राओं के रेल किराये का भुगतान सरकार द्वारा किया गया। रेलवे किराये के रूप में 11 ट्रेन के लिए 78.43 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।
तमाम सुविधाएं कराई गईं मुहैया
सरकार की ओर से विशेष बसों का इंतजाम किया गया। इन्हें सैनेटाइज्ड किया गया था। लगेज के लिए कुली एवं ट्रॉली की व्यवस्था गई। लंच पैकेट एवं स्नैक्स मुहैया कराने के साथ स्टेशनों पर डीएम और एसएसपी-एसपी की मॉनीटरिंग में घर पहुंचाने का इंतजाम सुनिश्चित किया गया। बहरहाल, स्टूडेंट्स काकहना है कि अब जाकर जान में जान आई। कोटा में तो सांसें अटकी हुई थीं। कहा- जान है तो जहान है।
कोटा से आने वाली ट्रेनों का ब्योरा
कहां से आगमन स्टेशन दिनांक संख्या
- कोटा बरौनी 4 मई 1395
- कोटा बरौनी 4 मई 1294
- कोटा गया 5 मई 994
- कोटा दरभंगा 5 मई 1200
- कोटा दानापुर 5 मई 1200
- कोटा कटिहार 6 मई 1044
- कोटा मुजफ्फरपुर 6 मई 1163
- कोटा मोतिहारी 7 मई 1320
- कोटा बिहारशरीफ 7 मई 1284
- कोटा सहरसा 8 मई 1333
- कोटा भोजपुर 8 मई 1246