पटना। मानव के लिए खून का विशेष महत्व है। विज्ञान के विकास के साथ-साथ रक्त का महत्व बढ़ते गया। बिहार रेडक्रॉस की प्राथमिकता है कि रक्त के अभाव में किसी मरीज की जान न जाए। बिहार रेडक्रॉस के अध्यक्ष डॉ.विनय बहादुर सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में रेडक्रॉस की ओर से कुल 22 ब्लड बैंकों का संचालन किया जा रहा है। जिसमें पांच रेडक्रॉस के हैं और 17 सरकारी। पिछले एक साल में 52 हजार यूनिट ब्लड रेडक्रॉस लोगों को मुहैया कराया गया और इतने ही लोगों की जांच बचाई गई।
प्लाज्मा थेरेपी होगी अगला टारगेट
रेडक्रॉस के अध्यक्ष का कहना है कि उनका अगला टारगेट है, लोगों को प्लाज्मा मुहैया कराना। कई रिसर्च से स्पष्ट हुआ है कि कोरोना में भी प्लाज्मा थेरेपी काम कर रहा है, लेकिन भारत में अभी भी इस पर रिसर्च चल रहा है। इसके बाद रेडक्रॉस लोगों से अपील करेगा कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो गए हैं, वे अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं ताकि दूसरे लोगों की जान बचाई जा सके।
मोतियाबिंद मुक्त बनेगा बिहार
बिहार रेडक्रॉस के कोषाध्यक्ष दिनेश जायसवाल का कहना है कि रेडक्रॉस ने राज्य से मोतियाबिंद खत्म करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए अत्यंत हाईटेक ऑपरेशन थियेटर का निर्माण किया गया है। यहां पर राजधानी के वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञों की टीम लागत खर्च पर मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर रही है। यहां मात्र 1500 रुपये में ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता है। इसी राशि में मरीजों को लेंस, चश्मा एवं ऑपरेशन की दवाएं प्रदान की जाती हैं।
आठ हजार स्वयंसेवकों का नेटवर्क
बिहार रेडक्रॉस का नेटवर्क स्वयंसेवकों पर आधारित है। राज्य में आठ हजार स्वयंसेवकों का विशाल नेटवर्क है। राज्य में जैसे ही बाढ़, सुखाड़, भूकंप, आग लगना एवं रेल दुर्घटना जैसी आपदा आती है, सबसे पहले रेडक्रॉस के स्वयंसेवकों की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर पीडि़तों को राहत पहुंचाती है। इसके बाद स्थानीय प्रशासन पहुंचकर कमान संभालता है।