तमिलनाडु के कोयंबटूर में धनबाद के विभिन्न इलाकों के लगभग 23 मजदूर लॉकडाउन में फंसे हुए हैं। सभी भूख और तंगी से जूझ रहे हैं। मजदूरों ने वापस घर आने के लिए झारखंड सरकार से कई बार गुहार लगायी। बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वहां फंसे भूली के नरेश ठाकुर ने बताया कि 12 लोगों के साथ वे लोग सुलुर थाना क्षेत्र की एक फैक्ट्री में काम करते थे। पास में ही झारखंड के 11 लोग और फंसे हैं। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई। कुछ दिन फैक्ट्री संचालक ने खाने की व्यवस्था की। अब वह भी बंद है। काम के दौरान मिले पैसे 40 दिन के लॉकडाउन में खाने समेत अन्य जरूरी काम पर खर्च हो गए। अब खाने के लाले पड़ रहे हैं। तीन वक्त के बजाय एक वक्त खाना खाकर दिन काट रहा हूं।
मजदूरों का कहना है कि घर वापस आने के लिए सारे जतन करके देख लिया। कोई फायदा नहीं हुआ। झारखंड सरकार को भी विभिन्न माध्यमों से वापस बुलाने की गुहार लगाई। अपनी सरकार से भी अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है।
कोरोना संक्रमण का खतरा
मजदूरों का कहना है कि उन लोगों को कोरोना संक्रमण का खतरा सता रहा है। छोटे-छोटे कमरों में चार-चार लोग रह रहे हैं। खाने का इंतजाम के लिए बाहर भी निकलना पड़ रहा है।
आर्थिक मदद भी नहीं मिली
मजदूरों के अनुसार सरकार द्वारा दिए जाने वाले 1000 रुपए की आर्थिक मदद के लिए भी उन्होंने आवेदन किया था। थोड़े दिन बाद उनके आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए। पैसे लगभग खत्म हो चुके हैं और घर वापस लौटने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही।
कोयंबटूर में फंसे लोगों के नाम
नरेश कुमार ठाकुर भूली, मनोज नाग कुमारधुबी नीचे धौड़ा, अशोक कुमार सहीस घनुडीह झरिया, रामेश्वर दास पांडेडीह सिजुआ, पनेश्वर गरिया टोला मधुपुर, योगेश रजवार आसनबनी, नंदलाल रजवार आसनबनी, रंगलाल रजवार आसनबनी, परमेश्वर रजवार आसनबनी, सुल्तान अंसारी मथुरापुर मधुपुर, सौरम अंसारी मथुरापुर मधुपुर और मंटू गुप्ता सुभाष नगर कुमारधुबी एक फैक्ट्री में फंसे हैं। इसके अलावा पास की दूसरी फैक्ट्री में 11 मजदूर फंसे हुए हैं।