पटना। भूख अमीरी-गरीबी नहीं देखती, और न क्लास देखती है। मगर अफसर ऐसा नहीं सोचते। तभी तो दानापुर (पटना) स्टेशन पर कामगारों को दाल-चावल व सब्जी दे रहे तो छात्र-छात्राओं को केला, सेब, सैंडविच और काला जामुन के फूड पैकेट के साथ फ्रूटी भी दिया जा रहा है। बेंगलुरु से आए कामगारों और राजस्थान के कोटा से मंगलवार को लौटे छात्र-छात्राओं के इंतजाम में यह अंतर साफ दिखा। बुधवार को भी यही हालात हैं।
छात्रों की तुलना में कामगारों को दे रहे घटिया खाना
1050 रुपये का टिकट लेकर सफर कर रहे कामगारों व उनके परिजनों को दानापुर पहुंचने पर मोटा चावल, दाल और आलू-परवल की सब्जी वाला खाने का पैकेट दिया गया। इसमें भी कई कामगारों ने खाना खराब होने की शिकायत की। दूसरी तरफ, कोटा से मुफ्त यात्रा कर पहुंचे छात्र-छात्राओं को स्पेशल फूड पैकेट दिया गया। इसमें केला, सेब, सैंडविच और काला जामुन था। इसके अलावा फ्रूटी का पैकेट भी दिया गया।
छात्रों के लिए कुली का इंतजाम, कामगार खुद उठा रहे सामान
यह क्रम यही नहीं रुका। कामगारों को अपना सामान खुद ढोकर ट्रेन से बसों तक जाना पड़ा। जबकि, छात्र-छात्राओं के सामान उठाने के लिए बाकायदा कुली तैनात थे। पुलिस-प्रशासन के अफसर भी अगवानी को पहुंचे हुए थे।
छात्रों के लिए खास इंतजाम, मिल रहा वीआइपी ट्रीटमेंट
बाहर से बिहार आ रहे छात्रों को बुधवार को वीआइपी ट्रीटमेंट मिलता दिखा। इसके पहले मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे कोटा से 1145 छात्रों को लेकर स्पेशल ट्रेन जब दानापुर स्टेशन पर पहुंची, तब डीएम, एसएसपी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी खुद मौजूद थे। छात्र-छात्राओं को सामान उठाने में तकलीफ न हो इसके लिए 100 ट्राली और 50 कुली की व्यवस्था की गई थी।
छात्रों को ट्रेन से उतारने में प्रशासन को छह घंटे लग गए। स्टेशन के गेट पर स्टॉल पर नाश्ते का विशेष इंतजाम था। पानी का बोतल देने के साथ ही बकायदा उन्हें शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए बसों में बैठाया जा रहा था। उनमें करीब 800 छात्र पटना जिले के निवासी थे, जिन्हें लेने अभिभावक पहुंचे। जिनके पास साधन नहीं थे उन्हें पुलिस ने अपनी गाड़ी से घर तक पहुंचाया।
कामगारों को रास्ते में मिली सूखे चावल के साथ चटनी…
अब बात करें कामगारों की। मंगलवार को विनोद, पत्नी बबीता और दो बच्चे गोलू व सोनू के साथ बेंगलुरु से आई स्पेशल ट्रेन से दानापुर उतरे। गोलू भूख से रो रहा था। थर्मल स्कैनिंग के बाद स्टेशन से बाहर निकलते ही खाने का पैकेट मिला। गोलू मानो उसपर टूट पड़ा। बबीता ने बताया कि रविवार को ट्रेन में सवार हुई थी। उस समय ब्रश, साबुन, एक बोतल पानी और सूखे चावल के साथ चटनी मिली थी। रास्ते में एक जगह और खाना मिला। पिछले 24 घंटे से भूख लगी थी।
और फेंकना पड़ा स्टेशन पहुंचने पर मिला खाना
जमुई निवासी वीरेंद्र और संदीप भी भूखे थे। खाने का पैकेट मिला तो उत्साह से खोला मगर फिर फेंक दिया। कहने लगे-साहब जो खाने का पैकेट मिला है वह खाने लायक नहीं है। महक आ रही है। अब पहुंचने पर ही कुछ खाएंगे।