राजस्थान के कोटा व अन्य राज्यों में लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में फंसे बिहार के छात्रों को वापस घर लाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने अब राज्य के साथ केंद्र सरकार को भी जवाब तलब किया है । इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई हुई। 23 अप्रैल को राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बाहर के राज्यों में पढ़ रहे छात्रों को लाना संभव नहीं है। 3 मई तक तो कतई संभव नहीं है। केंद्र सरकार की गाइड लाइन को अवहेलना करना ठीक नहीं होगा।
राज्य सरकार के उस जवाब पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना था कि गाइड लाइन केवल इसी राज्य के लिए नहीं है, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों ने बाहर पढ़ रहे छात्रों को अपने-अपने राज्य में बुला लिया है केवल बिहार के वास्ते अलग कानून लागू नहीं होगा।
अधिवक्ता अजय ठाकुर व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश आरके मिश्रा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सुनवाई की । कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को एक साथ बताने को कहा कि बाहर के राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों को वापस क्यों नहीं लाया जा सकता है।
कोर्ट ने अधिवक्ता अजय ठाकुर की याचिका को जनहित याचिका में बदल कर सुनवाई की। गुरुवार को राज्य सरकार ने रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के कारण छात्रों को लॉकडाउन में वापस बुलाने में असमर्थ हैं। राज्य सरकार उन छात्रों को हो रही दिक्कतों पर ही ध्यान दे सकती हैl इस मामलें से जुड़ी सभी लोकहित याचिकाओं पर 27 अप्रैल को एक साथ सुनवाई की जाएगी। बता दें कि लॉकडाउन को लेकर बिहार के सैकड़ों छात्र कोटा में फंसे हुए हैं। उनके घरवाले बच्चों को लेकर काफी परेशान हैं।