दिल्ली हिंसा को लेकर विपक्ष ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास जोरदार प्रर्दशन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा। लोकसभा भवन में विपक्ष के सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस ने सवाल उठाया, कि किस आधार पर विपक्षी सांसदों पर कार्रवायी की गई। डीएमके ने सांसदों के निलंबन वापस लेने की मांग कीए जिस पर सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री प्रह्रलाद जोशी ने कहा कि जो कल हुआ वैसा 70 सालों में नहीं हुआ था लेकिन इस तरह का व्यवहार संसद में शोभा नहीं देता है। वहीं भारी हंगामें के चलते राज्यसभा और लोकसभा को 11 मार्च सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
जेबकतरों को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता
लोकसभा से कांग्रेस के सात सदस्यों के निलंबन को वापस लिए जाने की मांग करते हुए, सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चैधरी ने कहा कि ‘जेबकटुवा को फांसी के तख्ते पर नहीं चढ़ा सकतें। चैधरी ने यह भी बोला कि कांग्रेस के सदस्य आसन को ‘पाप ऑफ द वेटिकन’ की तरह सम्मान देते हैं। और उन्होंने कभी आसान का अपमान नहीं किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पार्टी के सात सदस्यों को एक साथ संसद के शेष सत्र से बाहर किये जाने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि प्रर्दशन के दौरान अन्य विपक्षी सदस्य भी थें लेकिन बिना कारण बतायें किस आधार पर सातों सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। यह कोई छोटी बात नहीं है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चैधरी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि निलंबित सदस्यों की तुलना जेबकतरों से करना अनुचित लगता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम इससे असहमत है। कांग्रेस सदस्यों के निलंबन को उचित बतातें हुए जोशी ने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तो तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी हमेंशा सदस्यों कों आसन का अनादर वाली किसी भी बात से रोका करते थे। वही जदयू सांसद राजीव रंजन ने भी चैधरी के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंनें तो स्वयं ही अपने सदस्यों को जेबकतरा मान लिया।