गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों पर नया डेथ वारंट जारी करते हुए 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे का समय निर्धारित किया है। अदालत के फैसले के बाद एक बार फिर से निर्भया के दोषी ने फांसी रुकवाने के लिए नई चाल चली है।
दरअसल, दोषी मुकेश कुमार सिंह ने अब अपने पुराने वकील पर ही आरोप लगाते हुए कहा है कि उसे नहीं बताया गया कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है। ऐसे में तमाम कार्रवाई रद्द की जाए और उसे क्यूरेटिव पिटिशन और अन्य कानूनी उपचार के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए।
मुकेश ने वकील एमएल शर्मा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में भारत सरकार, दिल्ली सरकार और एमिकल क्यूरी (कोर्ट सलाहकार) को प्रतिवादी बनाया गया है। इसके साथ ही अर्जी में यह भी कहा गया है कि उसे साजिश का शिकार बनाया गया है। उसे नहीं बताया गया कि लिमिटेशन एक्ट के तहत क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है। इस तरह देखा जाए तो उसे उसके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है। इसी कारण रिट दाखिल की गई है।
अर्जी में कहा गया है कि लिमिटेशन एक्ट की धारा- 137 में याचिका दायर करने की समय सीमा तय है। साथ ही कानूनी प्रावधान है कि, जिसमें याचिका दायर करने की समय सीमा तय नहीं है। उसमें तीन साल तक का वक्त होता है। इस तरह देखा जाए तो क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक की समय सीमा है।